Friday, August 17, 2018

औरैया : 'मुस्लिम बस्ती में जो भी लड़का दिखा, पुलिस उठा ले जा रही है'

उत्तर प्रदेश के औरैया ज़िले के कुदरकोट गांव में चारों तरफ़ सन्नाटा पसरा हुआ है. गांव के भीतर घुसते ही कुछ दूरी पर बाईं ओर पुलिस चौकी है जबकि दाहिनी ओर गांव की आबादी.
पुलिस चौकी से महज़ कुछ सौ मीटर की दूरी पर ही वो प्राचीन मंदिर है जहां के दो साधुओं की बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी जबकि हमले में घायल एक अभी भी ज़िंदगी और मौत से संघर्ष कर रहा है.
गांव वालों का साफ़ कहना है कि इन साधुओं को गोकशी का विरोध करना भारी पड़ गया. वहां मौजूद कई लोग एक आवाज़ में कहने लगते हैं, "किसी ने देखा तो नहीं है लेकिन मंदिर की तरफ़ कुछ लोग अक़्सर गाय ले जाकर काटते थे. तीनों साधुओं ने कई बार पुलिस से भी शिकायत की थी. उनकी और किसी से दुश्मनी तो थी नहीं, फिर इतनी बेदर्दी से उन्हें कोई क्यों मारेगा?"
कुदरकोट गांव में भयानक नाथ मंदिर गांव के बिल्कुल किनारे पर है. मंदिर काफ़ी प्राचीन है और कुदरकोट के अलावा दूसरे गांव के लोग भी इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं.
फ़िलहाल मंदिर में पुलिस ने ताला लगवा दिया है और घटना के बाद से मंदिर परिसर में क़रीब आधा दर्जन पुलिस वाले चौबीस घंटे ड्यूटी दे रहे हैं. मंदिर परिसर में पुजारियों के ज़रूरी सामान इस तरह बिखरे पड़े हैं कि घटना की बर्बरता की कहानी दो दिन बाद भी बयां हो रही है.
मंदिर कुछ ढलान पर है जबकि उसके सामने ऊंचाई पर ग्राम समाज की ऊबड़-खाबड़ काफ़ी ज़्यादा खाली जगह है. गांव की आबादी यहां से क़रीब एक किलोमीटर दूर है. गांव के लोगों के मुताबिक़ 'गोकशी करने वालों के लिए ये जगह काफ़ी मुफ़ीद है क्योंकि आमतौर पर यहां कोई आता-जाता नहीं है.'
वहीं गांव के प्रधान रवींद्र पाल कहते हैं कि साधुओं के अलावा गांव के लोग भी इस बात का अक़्सर विरोध करते थे लेकिन कोई सुनता नहीं था, "कितनी बार पुलिस से शिकायत की गई, गायों को पकड़वाया भी हम लोगों ने, लेकिन उस समय पुलिस जिन्हें पकड़ती भी थी, बाद में छोड़ देती थी. इसी से इन लोगों का हौसला और बढ़ता गया."
पुलिस चौकी से दाहिनी ओर का रास्ता गांव की मुख्य आबादी की ओर जाता है. क़रीब पांच हज़ार की आबादी वाले इस गांव में मुस्लिमों की आबादी क़रीब डेढ़ हज़ार है. चूंकि पुलिस भी पुजारियों की हत्या में गोकशी करने वालों पर ही ज़्यादा संदेह कर रही है, इसलिए गांव के अन्य लोगों के अलावा उनसे भी पूछताछ की जा रही है.
शायद इसी वजह से मुस्लिम समुदाय के लोगों में थोड़ा डर भी है. कई घरों पर ताले पड़े हैं तो कुछ के भीतर सिर्फ़ महिलाएं ही दिख रही हैं, पुरुष नहीं. मस्जिद के सामने एक घर के बाहर कई पुलिस वाले बैठे थे और दरवाज़े पर सलमा नाम की एक महिला गोद में छोटे बच्चे को लेकर रो रही थी. थोड़ी देर पहले ही उसके पति जुनैद को पुलिस वाले पूछताछ के लिए उठा ले गए थे.
सलमा बताने लगी, "मेरे पति रेहड़ी लगाते हैं. जैसे ही घर पर आए, पुलिस वाले खींचकर ले जाने लगे. जब तक हम बाहर निकलकर आए, पुलिस वाले उन्हें ले जा चुके थे. बाहर बैठे पुलिस वालों से पूछा तो बोले कि हमें नहीं पता क्यों ले गए हैं."
यही हाल ज़्यादातर घरों का था. कई मुस्लिम महिलाएं बाहर निकल आईं और इसी तरह के आरोप लगाने लगीं. नफ़ीसा नाम की एक लड़की बोली, "मेरे तीनों भाइयों को सुबह पुलिस उठा ले गई. बोली कि पूछताछ करके छोड़ देंगे लेकिन पांच घंटे हो गए और अभी तक वो लोग नहीं आए. यहां जितने भी लड़कों को देख रहे हैं पुलिस वाले, सबको उठा ले जा रहे हैं. वहां मार-पीट भी रहे हैं."
लोगों ने बताया कि डर के मारे कई लड़के और कुछ महिलाएं भी गांव से चले गए हैं. गांव के प्रधान रवींद्र पाल भी इस बात की पुष्टि करते हैं, "कई लोग सुबह से हमारे पास ये शिकायत लेकर आ रहे हैं कि पुलिस वाले ज़बरन चौकी पर ले जा रहे हैं. हमने कहा कि डटकर सामना करो, यदि ग़लत नहीं हो तो पुलिस वाले कुछ नहीं करेंगे. उन्हें पूछताछ करने दो. लेकिन कुछ लोग तो डर के मारे यहीं से बस पकड़कर कहीं चले गए. कुछ औरतें सुबह आई थीं. वे बताने लगीं कि पुलिस वाले बाहर तक निकलने नहीं दे रहे हैं."
वहीं इस मामले में मुख्यमंत्री के अल्टीमेटम के बावजूद अभी तक कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि हिरासत में लेकर कई लोगों से पूछताछ की जा रही है और जल्द ही गिरफ़्तारी भी हो जाएगी. मुस्लिम युवकों को प्रताड़ित करने और उन्हें ज़बरन चौकी पर लाने के आरोपों को पुलिस अधिकारी सीधे तौर पर नकारते हैं.
औरैया के पुलिस अधीक्षक नागेश्वर सिंह ने बीबीसी को बताया, "पूछताछ के लिए पुलिस किसी को भी बुला सकती है, ये हमारा विधिक दायित्व और अधिकार है. कई लोगों से पूछताछ हुई है लेकिन जिनके ख़िलाफ़ साक्ष्य होंगे, उन्हें गिरफ़्तार करेंगे. बाकी लोग छोड़ दिए गए हैं. गांव से भागने की बात भी सही है. जो संदिग्ध हैं, वो भागे हुए हैं, उन्हें पकड़ने के लिए हमने टीम लगा रखी है. हम दोषियों की गिरफ़्तारी के बहुत नज़दीक हैं."
कुदरकोट पुलिस चौकी पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी, पुलिस अधिकारी और गले में गेरुआ पट्टा डाले कई गोसेवक बैठे थे. दूसरी ओर वो तीन गायें भी बँधी थीं जिनके बारे में पुलिस वालों का दावा था कि उन्हें गोकशी करने वालों से बरामद किया है. वहां मौजूद औरैया के एडिशनल पुलिस अधीक्षक एमके सक्सेना तमाम सवालों का संक्षिप्त जवाब देते हैं, "जल्द ही दोषी गिरफ़्त में आ जाएंगे."
लखनऊ से घटना को कवर करने पहुंचे एक अन्य पत्रकार ने जब वहां बैठे पुलिस अधिकारियों से पुलिस चौकी परिसर में बैठे गोसेवकों के बारे में पूछा तो अधिकारियों ने हल्की सी मुस्कान के रूप में जवाब दिया. गोसेवक वहां क्यों बैठे हैं, इसका कोई साफ़ जवाब नहीं मिल सका.
बुधवार सुबह मंदिर परिसर में सो रहे तीन साधुओं पर हमला हुआ था, जिसमें दो साधुओं की तत्काल मौत हो गई थी जबकि गंभीर रूप से घायल एक अन्य साधु का अभी भी सैफ़ई मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है. ये तीनों साधु आस-पास के गांवों के ही रहने वाले थे और मंदिर के पुजारी थे.
साधुओं की हत्या के विरोध में बिधूना में आगज़नी और पथराव भी हुआ था. पुलिस ने कुदरकोट गांव को छावनी में भले ही तब्दील कर रखा है लेकिन साधुओं की हत्या में अब तक कोई गिरफ़्तारी न होने से लोगों में जहां गुस्सा है, वहीं जिन घरों से कथित तौर पर संदिग्धों की तलाश हो रही है, उनमें ख़ौफ़ बना हुआ है.

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